झारखंड: हेमंत सोरेन की कुर्सी पर संशय बरकरार, जेएमएम ने अब RTI के जरिए मांगी जानकारी

25 अगस्त को हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने एक पत्र राज्यपाल को भेजा था। भेजे गए पत्र की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी।

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर सियासत पिछले कुछ दिनों से जारी हैं। सोरेन की सदस्यता को लेकर सूचना के अधिकार का सहारा लिया गया है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के महासचिव विनोद पांडेय ने शनिवार को राजभवन के जन सूचना अधिकारी के समक्ष आईटीआइ दाखिल कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संबंध में चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए पत्र के संबंध में जानकारी मांगी हैं।
बता दें कि, 25 अगस्त को भारत निर्वाचन आयोग ने एक पत्र राज्यपाल को भेजा था। भेजे गए पत्र की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की थी। सितंबर माह में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को आश्वासन दिया गया कि वो मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता खत्म वाली अनुरोध अर्जी पर निर्वाचन आयोग की सिफारिश को स्पष्ट करेंगे। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खुद इस संबंध में राज्यपाल से मुलाकात कर चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि मांगी थी। उस दौरान आयोग ने जवाब देते हुए कहा कि चुनाव आयोग की तरफ से की गई सिफारिश को बताने के लिए राज्यपाल बाध्य नहीं हैं। यह उनके विवेक पर निर्भर करता है।
यह हैं सीएम सोरेन पर आरोप
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और खुद को खनन पट्टा आवंटित किया, यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें हितों के टकराव और भ्रष्टाचार दोनों शामिल हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया। विवाद का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मई में सोरेन को एक नोटिस भेजकर खनन पट्टे पर उनका पक्ष मांगा था।