डेंगू के डंक से दहशत का माहौल, जेएलएनएमसीएच में 54 बेड आरक्षित, सिविल सर्जन बोले पैनिक होने के बजाय सावधानी कारगर

डेंगू के डंक से दहशत का माहौल, जेएलएनएमसीएच में 54 बेड आरक्षित, सिविल सर्जन बोले पैनिक होने के बजाय सावधानी कारगर
बढ़ते डेंगू मरीजों को लेकर नगर निगम की कार्यशैली पूर्णरूपेण उदासीन, स्वच्छता को लेकर नहीं हो पा रहे गुणवत्तापूर्ण कार्य
डेंगू के डंक से दहशत का माहौल, जेएलएनएमसीएच में 54 बेड आरक्षित, सिविल सर्जन बोले पैनिक होने के बजाय सावधानी कारगर
बढ़ते डेंगू मरीजों को लेकर नगर निगम की कार्यशैली पूर्णरूपेण उदासीन, स्वच्छता को लेकर नहीं हो पा रहे गुणवत्तापूर्ण कार्य
रिपोर्ट-विभूति सिंह,भागलपुर
एंकर- भागलपुर में डेंगू मरीजों की संख्या में पिछले कुछ दिनों से इजाफा देखा जा रहा है| वहीं डेंगू के डंक की भय से जिले के विभिन्न हिस्सों में दहशत का माहौल जरूर कायम हो गया | हालांकि जिला प्रशासन डेंगू को शिकस्त देने के लिए तैयारी में लगी हुई है| नगर निगम क्षेत्र में डेंगू से निपटने के लिए फॉगिंग करवाई जा रही है| वहीं डेंगू ने जिस प्रकार से जिले में अपना पांव पसार लिया है, उसकी अपेक्षा जिला प्रशासन और नगर निगम की तैयारी फिलहाल नाकाफी साबित हो रही है| नगर निगम कार्यालय के चहारदीवारी के ठीक पीछे कचहरी कैंपस में बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के भागलपुर इकाई के सदस्य रामइकबाल साह के डेंगू की चपेट में आने की सूचना के बाद से ही नगर निगम की तैयारी पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया| इस संबंध में बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन फौजी ने बताया की राम इक़बाल साह खंजरपुर के रहने वाले थे| कचहरी कैंपस में उनका काउंटर था और वह ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, वाहन का रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस रेनुवल और परिवहन विभाग से संबंधित कई प्रकार के कार्य को संपादित करने में आम लोगों की मदद करते थे| उन्होंने कहा कि वह घर में अकेला कमाने वाला था| राम इक़बाल साह करीब दस दोनों तक डेंगू से संक्रमित रहा और जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय मायागंज एवं अस्पताल में बकायदा उनका इलाज भी हुआ| वहीं अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें स्वस्थ घोषित कर वापस घर भेज दिया था | लेकिन अचानक उनकी मौत हो गई| जिसके बाद बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के भागलपुर इकाई के सभी सदस्यों ने उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित कर अपना – अपना काउंटर एक दिन के लिए बंद रखा| पवन फौजी ने कहा कि इस हृदय विदारक घटना के बाद सभी लोग शोक संतप्त हैं| उन्होंने मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई है| पवन फौजी ने कहा कि नगर निगम कार्यालय और उन लोगों के काउंटर के बीच महज एक चहारदीवारी का फासला है बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी इस इलाके में फॉगिंग कराने की जरूरत नहीं समझते हैं|
जेएलएनएमसीएच में डेंगू के मरीजों के लिए मच्छरदानी और अन्य सुविधायुक्त 54 बेड आरक्षित, रोजाना 8-10 मरीज हो रहे भर्ती, स्वस्थ होकर घर जाने वालों की संख्या भी समानांतर !
डेंगू के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल मायागंज में तैयारी पुख्ता कर ली गई है| अस्पताल अधीक्षक डॉ आसिम कुमार दास (एके दास) ने बताया कि अस्पताल में रोजाना डेंगू से पीड़ित मरीज 8-10 की संख्या में भर्ती हो रहे हैं| जबकि स्वस्थ होकर 8-10 मरीज रोजाना घर भी जा रहे हैं| एमसीएच वार्ड में मच्छरदानी और अन्य सुविधायुक्त 54 बेड को डेंगू पीड़ितों के लिए आरक्षित कर दिया गया है| वार्ड के चारों ओर जाली लगा दिया गया है जिससे की मच्छर अंदर प्रवेश ना करे और फॉगिंग भी जरूरत के हिसाब से करवाई जा रही है| उन्होंने कहा कि वैसे तो डेंगू में कोई खास दवाई नहीं देनी होती है लेकिन इसके बाद भी काफी बेहतरीन ढंग से अस्पताल में ट्रीटमेंट करवाई जाती है| औसतन 5-6 की संख्या में मरीजों को पेल्टलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है| अधीक्षक डॉ एके दास ने बताया कि डेंगू एक हफ्ते का मामला है लेकिन अगर 24-48 घंटे में फीवर के साथ किसी डेंगू मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 40 हजार के आसपास है तो उन्हें अस्पताल में जरूर भर्ती हो जाना चाहिए| क्योंकि दो से तीन दिनों के अंदर एक सेकेंड फॉल होगा इसके साथ ही मरीजों को हाई फीवर होता है| ऐसी स्थिति में आशंका रहती है कि पेलेटलेट्स घटकर 10 हजार के नीचे न आए जाए| उन्होंने कहा कि अमूमन मरीजों को दस हजार से नीचे प्लेटलेट्स रहने पर प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है| लेकिन हायपरटेंशन, डायबिटीज या अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों में आम तौर पर डॉक्टर रिस्क नहीं लेते और 20 हजार प्लेटलेट्स रहने पर भी ऐसे मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है| अधीक्षक की मानें तो अगर किसी डेंगू पीड़ित मरीज का प्लेटलेट्स 40-50 हजार के आसपास है तो वह बिल्कुल नहीं घबराएं, उन्हें अस्पताल आने की भी कोई जरूरत नहीं है| वह घर में भी दवाई लेकर और प्रिकॉशन को अपनाकर ठीक हो सकता है| उन्होंने आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी हालत में आसपास जलजमाव नहीं होने दें क्योंकि “एडिज प्रजाति” के मच्छर के काटने से ही डेंगू होता है और यह प्रायः दिन में ही काटता है| वहीं उन्होंने डेंगू से पीड़ित एक वेंडर मरीज की मौत की अफवाह पर कहा कि पूर्ण रूप से ठीक होने के बाद ही डिस्चार्ज किया जाता है| ऐसे में हो सकता है कि वह किसी अन्य बीमारियों से भी ग्रसित हो| जिससे उनकी मौत हो गई होगी!
सिविल सर्जन के परिवार में डेंगू का अटैक, बोले जलजमाव भी नहीं था फिर भी डेंगू ने किया हमला !
भागलपुर के सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा के परिवार में भी एक सदस्य डेंगू से पीड़ित हैं| खुद सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि उनके परिवार में डेंगू का हमला हुआ है| कहीं जलजमाव नहीं था बावजूद इसके डेंगू से पीड़ित होना समझ से परे है| वहीं उन्होंने आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि आसपास साफ – सफाई रखें, कहीं भी जलजमाव नहीं होने दें| सिविल सर्जन ने डेंगू से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयास में नगर निगम से भरपूर सहयोग मिलने की बात कही है|
एंकर- भागलपुर में डेंगू मरीजों की संख्या में पिछले कुछ दिनों से इजाफा देखा जा रहा है| वहीं डेंगू के डंक की भय से जिले के विभिन्न हिस्सों में दहशत का माहौल जरूर कायम हो गया | हालांकि जिला प्रशासन डेंगू को शिकस्त देने के लिए तैयारी में लगी हुई है| नगर निगम क्षेत्र में डेंगू से निपटने के लिए फॉगिंग करवाई जा रही है| वहीं डेंगू ने जिस प्रकार से जिले में अपना पांव पसार लिया है, उसकी अपेक्षा जिला प्रशासन और नगर निगम की तैयारी फिलहाल नाकाफी साबित हो रही है
| नगर निगम कार्यालय के चहारदीवारी के ठीक पीछे कचहरी कैंपस में बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के भागलपुर इकाई के सदस्य रामइकबाल साह के डेंगू की चपेट में आने की सूचना के बाद से ही नगर निगम की तैयारी पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया| इस संबंध में बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष पवन फौजी ने बताया की राम इक़बाल साह खंजरपुर के रहने वाले थे| कचहरी कैंपस में उनका काउंटर था और वह ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट,
वाहन का रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस रेनुवल और परिवहन विभाग से संबंधित कई प्रकार के कार्य को संपादित करने में आम लोगों की मदद करते थे| उन्होंने कहा कि वह घर में अकेला कमाने वाला था| राम इक़बाल साह करीब दस दोनों तक डेंगू से संक्रमित रहा और जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय मायागंज एवं अस्पताल में बकायदा उनका इलाज भी हुआ| वहीं अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें स्वस्थ घोषित कर वापस घर भेज दिया था |
लेकिन अचानक उनकी मौत हो गई| जिसके बाद बिहार राज्य परिवहन मित्र कामगार संघ के भागलपुर इकाई के सभी सदस्यों ने उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित कर अपना – अपना काउंटर एक दिन के लिए बंद रखा| पवन फौजी ने कहा कि इस हृदय विदारक घटना के बाद सभी लोग शोक संतप्त हैं| उन्होंने मृतक के परिजनों को मुआवजा देने के लिए जिला प्रशासन से गुहार लगाई है| पवन फौजी ने कहा कि नगर निगम कार्यालय और उन लोगों के काउंटर के बीच महज एक चहारदीवारी का फासला है बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी इस इलाके में फॉगिंग कराने की जरूरत नहीं समझते हैं|
जेएलएनएमसीएच में डेंगू के मरीजों के लिए मच्छरदानी और अन्य सुविधायुक्त 54 बेड आरक्षित, रोजाना 8-10 मरीज हो रहे भर्ती, स्वस्थ होकर घर जाने वालों की संख्या भी समानांतर !
डेंगू के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल मायागंज में तैयारी पुख्ता कर ली गई है| अस्पताल अधीक्षक डॉ आसिम कुमार दास (एके दास) ने बताया कि अस्पताल में रोजाना डेंगू से पीड़ित मरीज 8-10 की संख्या में भर्ती हो रहे हैं| जबकि स्वस्थ होकर 8-10 मरीज रोजाना घर भी जा रहे हैं|
एमसीएच वार्ड में मच्छरदानी और अन्य सुविधायुक्त 54 बेड को डेंगू पीड़ितों के लिए आरक्षित कर दिया गया है| वार्ड के चारों ओर जाली लगा दिया गया है जिससे की मच्छर अंदर प्रवेश ना करे और फॉगिंग भी जरूरत के हिसाब से करवाई जा रही है| उन्होंने कहा कि वैसे तो डेंगू में कोई खास दवाई नहीं देनी होती है लेकिन इसके बाद भी काफी बेहतरीन ढंग से अस्पताल में ट्रीटमेंट करवाई जाती है| औसतन 5-6 की संख्या में मरीजों को पेल्टलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता होती है| अधीक्षक डॉ एके दास ने बताया कि डेंगू एक हफ्ते का मामला है लेकिन अगर 24-48 घंटे में फीवर के साथ किसी डेंगू मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 40 हजार के आसपास है तो उन्हें अस्पताल में जरूर भर्ती हो जाना चाहिए| क्योंकि दो से तीन दिनों के अंदर एक सेकेंड फॉल होगा इसके साथ ही मरीजों को हाई फीवर होता है|
ऐसी स्थिति में आशंका रहती है कि पेलेटलेट्स घटकर 10 हजार के नीचे न आए जाए| उन्होंने कहा कि अमूमन मरीजों को दस हजार से नीचे प्लेटलेट्स रहने पर प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है| लेकिन हायपरटेंशन, डायबिटीज या अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों में आम तौर पर डॉक्टर रिस्क नहीं लेते और 20 हजार प्लेटलेट्स रहने पर भी ऐसे मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है|
अधीक्षक की मानें तो अगर किसी डेंगू पीड़ित मरीज का प्लेटलेट्स 40-50 हजार के आसपास है तो वह बिल्कुल नहीं घबराएं, उन्हें अस्पताल आने की भी कोई जरूरत नहीं है| वह घर में भी दवाई लेकर और प्रिकॉशन को अपनाकर ठीक हो सकता है|
उन्होंने आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी हालत में आसपास जलजमाव नहीं होने दें क्योंकि “एडिज प्रजाति” के मच्छर के काटने से ही डेंगू होता है और यह प्रायः दिन में ही काटता है| वहीं उन्होंने डेंगू से पीड़ित एक वेंडर मरीज की मौत की अफवाह पर कहा कि पूर्ण रूप से ठीक होने के बाद ही डिस्चार्ज किया जाता है| ऐसे में हो सकता है कि वह किसी अन्य बीमारियों से भी ग्रसित हो| जिससे उनकी मौत हो गई होगी!
सिविल सर्जन के परिवार में डेंगू का अटैक, बोले जलजमाव भी नहीं था फिर भी डेंगू ने किया हमला !
भागलपुर के सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा के परिवार में भी एक सदस्य डेंगू से पीड़ित हैं| खुद सिविल सर्जन डॉ उमेश शर्मा ने बताया कि उनके परिवार में डेंगू का हमला हुआ है| कहीं जलजमाव नहीं था बावजूद इसके डेंगू से पीड़ित होना समझ से परे है| वहीं उन्होंने आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि आसपास साफ – सफाई रखें, कहीं भी जलजमाव नहीं होने दें| सिविल सर्जन ने डेंगू से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयास में नगर निगम से भरपूर सहयोग मिलने की बात कही है|