वर्षों से किसान अपने जमीन के एवज में लड़ रहे उचित मुआवजे और बच्चों की नौकरी के लिए

भू -विस्थापितों के लगातार आक्रामक विरोध के कारण भागलपुर कहलगांव में उद्योग लगाने की राह आसान नहीं रह गई है। बियाडा ने कहलगांव प्रखंड स्थित 1020 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। लेकिन जमीन मालिकों का कहना है की सरकार के द्वारा उन्हें उचित मुवाबजा नहीं दिया गया है जिसके कारण वे जमीन पर अपना कब्ज़ा जमाये हुए है। और उद्योग लगाने आये अधिकारियों को लगातार खदेड़ रहे है।
पेश है रफ्तार मीडिया से भागलपुर से विभूति सिंह की एक स्पेशल रिपोर्ट
VO 1 — भागलपुर कहलगांव में सरकार के द्वारा 1020 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई है लेकिन भु विस्थापितों का कहना है की 1992 ई में तय रेट से जमीन का कीमत मिल रहा है ,जो की जमीन अधिग्रहण समय का है। लेकिन जमीन की कीमत मौजूदा समय में कुछ और ही है ,जो उन्हे नहीं मिल रहा है जिसके कारण जमीन मालिकों ने जमीन पर अपना कब्ज़ा जमाए हुए है। यहाँ उद्योग लगाने के लिए कई कम्पनियाँ आई पर उन्हें यहाँ के लोगों का विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जमीन मालिकों ने साफ़ कह दिया है की उचित मुवाबजा अगर नहीं मिला तो मर जाएंगे पर जमीन नहीं छोड़ेंगे।
बाइट- स्थानीय निवासी
VO 2 —- कहलगावँ में NTPC है बिक्रमशिला विस्वविद्यालय है बटेस्वर स्थान है वाबजूद इसके यहाँ किसी ने कोई पहल नहीं की जिसके कारण यहाँ उद्योग नहीं लग सका है।अधिग्रहण जमीन की चारदीवारी भी अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। चार दीवारी में लगे लाखों रूपये का ईट की चोरों के द्वारा चोरी कर ली गई है। यहाँ के बुद्धि जीवी लोगों का भी कहना है की सरकार के द्वारा यहाँ अनदेखी की जा रही है हालाँकि पीरपैंती में जमीन अधिग्रहण में 45 लाख रूपये एकड़ किसानों को दी गई है जबकि कहलगावँ में मात्र 65 हजार रूपये दिए गए है कुछ किसानों को तो मुवाबजा मिला भी नहीं है।
बाइट- किसान
VO 3 — वहीँ बियाडा के अधिकारी इस पर बोलने से बच रहे है । साथ ही कैमरे के सामने आने से मना कर देते है ।
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