हृदय के विकार को समाप्त करता है श्रीमद भागवत कथा महाराज सिद्धि गिरी जी उज्जैन

मुरलीगंज मधेपुरा संवाददाता मुकेश मनी
हृदय के विकार को समाप्त करता है श्रीमद भागवत कथा महाराज सिद्धि गिरी जी उज्जैन
मुरलीगंज मधेपुरा बिहार मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत पंचायत हरिपुर काला वार्ड नंबर 9 राधा कृष्ण मंदिर के प्रांगण में महात्मा नारायण दास जी के सौजन्य से नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया है श्रीमद् भागवत कथा के उद्घाटन करता पंचायत मुखिया डॉ लक्ष्मी कुमारी ने विधिवत दीप जलाकर सुचारू रूप से उद्घाटन की
जिसमें उपस्थित मध्य प्रदेश उज्जैन से आए हुए महाराज सिद्धि गिरी जी, महाराज वासुदेव दास जी, महाराज ब्रह्मदेव दास जी, दिनांक 16 11 2020 से 24 11 2020 तक होना सुनिश्चित हुआ है श्रद्धालुओं की भीड़ कतार बद्ध लगी रहती है कथा को सुनने से शारीरिक मानसिक एवं समस्त परिवार स्वच्छ और मन शांति होते हैं हरिपुर कला में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में सिद्धि गिरी जी महाराज ने भक्तों को भागवत कथा के महत्व को समझाया। कहा कि हम सभी को भगवान के अवतारों की कथा बार-बार सुननी चाहिए। भागवत कथा से हृदय का विकार समाप्त हो जाते हैं।उन्होंने कहा कि जिस घर में श्रीमद्भागवत की पूजा होती है। उस घर में लक्ष्मी का वास होता है। हर घर में श्रीमद्भागवत की पूजा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक बार भोजन कर लेने से एक बार सांस ले लेने से काम नहीं चल सकता है। उसी प्रकार एक बार कथा सुनने से काम कैसे चल सकता है। कहा कि भागवत कथा से जीवन में शांति मिलती है। कहा कि जैसे वाल्मिकी ईश्वर का नाम जपते जपते गलत मार्गो से हटकर प्रशस्त मार्गों के अधिकारी बन गए। अंगुली माल डाकू गौतम बुद्ध के उपदेशों को सुन कर अहिंसा का पुजारी बन गया। कालिदास जी अपनी पत्नी की कृपा से जीवन को धन्य कर लिया। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को श्रीमद्भागवत कथा सुननी चाहिए। कर्म के महत्व को समझाते हुए कहा कि कर्म करते समय व्यक्ति को सतर्क रहने की आवश्यकता है। कर्म का फल अकाट्य होता है। इसका फल मिलना है मिलना निश्चित है। जो जैसा कर्म करेगा वैसा फल मिलेगा ही मिलेगा। महाराज ने मांसाहार का विरोध करते हुए कहा कि जीभ के स्वाद के लिए दूसरे जीवो को मारकर खाना दुर्भाग्यपूर्ण है। हर जीव को अपनी जिंदगी जीने का पूर्ण अधिकार है। कथा को सुनने एवं भाग लेने के लिए मुख्य अतिथि नगर पंचायत चेयरमैन श्वेत कमल उर्फ बोआ जी, प्रोफेसर कृष्णानंद सिंह, कंचन कुमार सिंह, नवीन कुमार यादव, हरिनारायण यादव, मोहम्मद सद्दाम, सत नारायण यादव अमीन साहब, एवं कई गणमान्य व्यक्ति ग्रामीण मौजूद थे