Bihar Municipal Election 2022: बिहार निकाय चुनाव को सशर्त मंजूरी, पटना हाईकोर्ट ने दिया ये निर्देश
2022 बिहार नगर निकाय चुनाव को लेकर सशर्त मंजूरी दी गई है। राज्य सरकार द्वारा पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को ईबीसी कमीशन के समक्ष भेजने के लिए कहा है।
पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय आरक्षण मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को ईबीसी कमीशन के समक्ष भेजने के लिए कहा है। सुनवाई में राज्य सरकार ने अपना अंडरटेकिंग कोर्ट को देते हुए इस मामले को ईबीसी कमीशन भेज कर कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव कराये जाने की गुहार की जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और निकाय चुनाव का रास्ता साफ कर दिया।
15 दिनों में आ सकती है रिपोर्ट
ईबीसी कमीशन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के आलोक में रिपोर्ट देना है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ईबीसी कमीशन की रिपोर्ट के आने के बाद बिहार के निकाय चुनाव कराए जायें। इसके लिए 2005 में अस्तित्व में आए बिहार ईबीसी आयोग को बतौर डेडिकेटेड कमीशन राजनैतिक पिछड़ापन से जुड़े सारे आंकड़े जल्द से जल्द इकठ्ठा कर संभवतः 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी और उस रिपोर्ट के अवलोकन के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग बिहार में निकाय चुनाव अधिसूचित करेगा। इन सारी बातों पर सहमति बनने के बाद सरकार एवं चुनाव आयोग की ओर से याचिका को वापस ले लिया गया । राज्य सरकार के बैकफूट पर जाने से हाईकोर्ट के चार अक्टूबर का फैसला यथावत रह गया ।
सामान्य वर्ग का चुनाव क्यों नहीं कराया जा सका?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में तभी पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है, जब सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए। सरकार ये पता लगाए कि किस वर्ग को पर्याप्त राजनीति प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। सुनवाई में राज्य सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता विकास सिंह ऐवं वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने रखा । वरीय अधिवक्ता विकास सिंह ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ द्वारा पूर्व में पारित आदेश में त्रुटि बताते हुए कोर्ट को बताया कि आरक्षण का प्रावधान केवल ईबीसी के लिए है न कि ओबीसी के लिए । सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने चुनाव आयोग से जानना चाहा कि ओबीसी एवं ईबीसी के अलावा सामान्य वर्ग का चुनाव क्यों नहीं कराया जा सका? इस पर आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने बताया कि बार-बार चुनाव कराना अपने आप में एक बेहद कठिन कार्य है। उन्होंने चुनाव आयोग के खिलाफ की गई कोर्ट की टिप्पणियों को पारित फैसले से हटाने की गुहार भी की।
10 अक्टूबर को होना था मतदान
गौरतलब है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना पहले ही जारी हो गई थी। उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल कर चुके थे। 10 अक्टूबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिए गए थे। उम्मीदवार चुनाव प्रचार में जोर-शोर से लगे थे। इसी बीच पटना हाई कोर्ट के फैसले से सबकुछ फंस गया।