अनुभव प्रमाण पत्र मांगने पर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र प्राभारी के द्वारा चतुर्थवर्गीय कर्मी और परिजन के साथ करते हैं गाली गलौज|
अनुभव प्रमाण पत्र मांगने पर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र प्राभारी के द्वारा चतुर्थवर्गीय कर्मी और परिजन के साथ करते हैं गाली गलौज|
संवाददाता विभूति सिंह|
एंकर-भागलपुर जिला के गोपालपुर स्वास्थ्य केंद्र जो लगभग सभी सुविधाओं से लेस है,लेकिन उसके बावजूद भी इसी अस्पताल में आए दिन रोगी के इलाज से ज्यादा विवादों में घिरा रहता है। वहीं ताजा मामला गोपालपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चतुर्थ वर्गीय कर्मी ईश्वर तांती का है जिसने अपने चिकित्सा प्रभारी की बर्बरता से तंग आकर बताया की हम अपना कार्य अनुभव प्रमाण पत्र मांगने पर प्रभारी सुधांशु कुमार अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं, गाली गलोज यहां तक की जब पत्नी गाली गलोज करने से मना करती है तो उनके पत्नी को भी अभद्र शब्दों से गाली गलोज करने का लगाया आरोप जयवंती देवी ने कही की जब हमारे पति उनसे कार्यानुभव प्रमाण पत्र की मांग किया तोह उनके पहले से ही गालीगलोज कर रहा था|
जब हम उनको बोले की आप काहे गाली गलोज कर रहे है तो हमको भी अभद्रता पूर्ण गाली गलोज करने लगे । पीढ़ीत ने बताया की यहां के सभी कर्मियों को भी कई दफा गोपालपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोपालपुर के प्रभारी ने डरा धमका कर झूठ फूस का फसाते रहते है और अपना पद का धौष दिखाकर प्रताडित करते रहते है।हम आपको बता दे की प्रभारी का विवादो से बहुत पुराना नाता रह चुका है।हाल के कुछ दिनों में covid 19 एलटी मिथुन कुमार के साथ भी इसी तरह का व्यवहार रहा था।जिससे आहत हो कर पूर्व सिविल सर्जन उमेश शर्मा को लिखित शिकायत भी किया गया था।
कुछ साल पूर्व भी एएनएम सुलेखा कुमारी के साथ भी इनका अभद्रता पूर्ण रवैया के चलते एससी एसटी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराया गया था, जिसमें सुलेखा ने चिकित्सा प्रभारी डॉ सुधांशु कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे ।जो न्यायालय में न्याय के लिए मामला लंबित है। दूसरी एएनएम गीता देवी के रिटायर होने के बाद उनका डॉक्यूमेंट को गलत बता कर जीवन यापन भत्ता पर ग्रहण लगा दिया था जब सर्टिफिक्ट की जांच हुई तो जांच में सर्टिफिकेट सही पाया गया था उसके बाद उनका जीवन यापन भत्ता मिल सकी यहां तक की लिपिक विजय कुमार घोष,सन्नी कुमार सहित कई डॉक्टर के साथ भी इनका पूर्व में रवैया गलत रह चुका है।
यही कारण है कि चिकित्सा प्रभारी का अस्पताल से ज्यादा समय कोर्ट कचहरी में ही बीतता है।