कोरोना के दूसरे लहर के कहर में कोरोना वारियर्स के रुप में अग्रणी भूमिका निभा रहे युवा पत्रकार।
उदाकिशुनगंज से अरुण कुमार की रिपोर्ट
कोरोना के दूसरे लहर के कहर में कोरोना वारियर्स के रुप में अग्रणी भूमिका निभा रहे युवा पत्रकार।
जान जोखिम में डाल लोगों की मदद को बढा रहे हाथ।
सोशल साइट्स को बनाया हथियार
कोरोना के लेकर जहां हर कोई परेशान दिख रहा है वही उदाकिशुनगंज के युवा पत्रकार गौरव कवीर अपनी जान की परवाह किए बगैर पीड़ितों के सहयोग के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। बिहार में विभिन्न जिलों में कोरोना मरीज की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार अपने स्तर से सारे आवश्यक उपाय भी कर रहे हैं। बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रही है। संसाधनों और व्यवस्थाओं के अभाव में सारे अस्पतालों में अफरा तफरी मची हुई है। आमजन काफी दहसत और डर के साये में है। लोगों का कहना है कि हर तरफ कोरोना कातिल है कोई जाए तो जाए कहां। ऐसे में लोग एक दूसरे से मदद के लिए आशान्वित नजरों से देख रहे हैं। इस मुश्किल दौर में कई युवा और युवतिया आगे बढ़कर लोगों की मदद को हाथ बढा रहे हैं। जिससे कई लोगों की जानें भी बच रही है। ऐसे मुश्किल वक्त पर कोरोना के दूसरे लहर के कहर में कोरोना वारियर्स के रुप में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल के युवा होनहार पत्रकार गौरव कबीर। गौरव हमेसा से सामाजिक कार्यों में आगे रहे हैं। उनकी रुचि हमेसा लोगों की सेवाभाव करने में रही है। वे लोगों की पीड़ा देखकर उन्हें मदद पहुंचाने के लिए क्षेत्र के मंत्री, विधायकों और अधिकारियों के आगे भी हाथ फैलाने से गुरेज नहीं करते। सीमित संसाधनों और मध्यम वर्गीय परिवार से आने के बावजूद भी वह लोगों की हर संभव मदद करने से नहीं चूकते हैं। यह कभी थकते नहीं हैं। इसमें हमेशा लोगों की मदद करने की भूख रहती है। जहां लोग हताश हो जाते हैं वहां गौरव उसका हौसला वर्धन करते हैं और उसे मदद पहुंचाते हैं। किसी भी समय इसे आप फोन करो ये आपको आपके आवश्यकतानुसार मदद पहुंचाने से नहीं चूकते हैं। आज तक कोई जरूरतमंद इसके पास से खाली हाथ नहीं लौटा है। चाहे किसी कोविड मरीज को पटना के एनएमसीएच, आईजीएमएस या ऐम्स जैसे बड़े संस्थान में एडमिट होना हो या स्थानीय तौर पर किसी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में एडमिट होना हो या दवा की जरूरत हो या ऑक्सीजन की जरूरत हो या टीकाकरण करवाना हो या कोविड जाँच शिविर लगवानी हो या किसी गरीब को राशन की आवश्यकता हो गौरव हमेशा तत्पर रहते हैं अधिकारियों से बात कर उनके सारे समस्याओं को दूर करवाते हैं। 26 वर्षीय युवा नौजवान गौरव मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमण्डल मुख्यालय के रहनेवाले हैं। मध्यमवर्गीय परिवार में उनका लालन-पालन हुआ है। चार भाईयों में वह सबसे छोटे हैं। लोगों की सेवाभाव की भावना उनके अंदर बचपन से हीं थी।क्षेत्र के युवाओं से उनका खासा लगाव है। वह प्रायः युवाओं के बीच किसी ना किसी मुद्दे को लेकर चर्चा में रहते हैं। हालाँकि कई विवादों में भी वह राजनीतिक शंडयंत्र का शिकार हुए। पर लोगों प्यार और चाहत पाकर हर मुश्किल राह को आसान बना लिया।
गौरव कबीर से जब पूछा गया कि आप लोगों को कैसे मदद पहुंचाते हैं तो उन्होंने कहा सोशल साइट्स फोन काॅल या अन्य कई माध्यम से समस्या की जानकारी होने पर हम लोगों की मदद करते हैं। लोगों की मदद पहुंचा कर हमें सुकून मिलता है। मदद का क्रेडिट लेने के लिए आज के दौर में लोग मदद कम और मदद का तस्वीर खींचवाकर सोशल साइट्स पर तुरंत अपलोड कर देते हैं जो हमें पसंद नहीं हैं। मेरा मानना है कि मदद बिना किसी को बताए भी कि जा सकती है। उन्होंने कहा कि यदि उनके पास कोई एनजीओ संस्थान या समाजसेवा का अन्य कोई जरिया होता तो वह अधिक से अधिक लोगों को मदद पहुँचा पाता। स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। ऐसे में लोगों को एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए। हमसब एक साथ मिलकर इस वैश्विक महामारी से लड़ सकते हैं और अंततः विजय पा सकते हैं दुसरा कोई विकासनहीं है। आजकल के कई युवा सोशल साइट को महज एक मनोरंजन का जरिया समझ कर उनका दुरुपयोग कर रहे हैं। लेकिन सोशल साइट्स के माध्यम से हम बड़े पैमाने पर एक दूसरे लोगों से जुड़ कर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं यह आसान भी है।